रविवार, 8 जुलाई 2012

जन्नत (स्वर्ग) क्या है ?

जन्नत (स्वर्ग) उस हसीन और अति सुन्दर, मनोरम, हृदय ग्राही, ऐश- इशरत से भरी हुई, सुख-चैन, राहत और सुकून और अम्नो शान्ति का स्थान है, जिसे अल्लाह तआला ने अपने प्रियतम दासों और वास्तविक भक्तों और आज्ञापालन करने वाले दासों , अल्लाह की उपासना करने वाले बन्दों, भलाई की ओर निमन्त्रण करने वाले और बुराई तथा अशुद्ध कार्यों से मना करने वाले, और अल्लाह के अधिकार के साथ लोगों के अधिकार को अदा करने वाले बन्दों के लिए बनाया है।
जन्नत हमैशा रहने वाला वह स्थान है जो कभी समाप्त न होगा, जिस के लिए एक मूमिन हमैशा कोशिश करता है, उसे प्राप्त करने के लिए बहुत पर्यत्न करता है, अपने मानव आवश्यक्ता को कुचल देता है, अभीलाशओं को लगाम लगा देता है, शैतान से दुश्मनी मोल लेता है, जीवन में हजारों परेशानियाँ तथा संकट झेलता है ताकि अल्लाह की बहूमुल्य जन्नत को प्राप्त कर सके, जैसा कि रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमायाः
قال النبي صلى الله عليه وسلم: " من خاف ادلج ومن ادلج بلغ المنزل. ألا إن سلعة الله الغالية , ألا إن سلعة الله الغالية , ألا إن سلعة الله الجنة-"   (سنن الترمذي – صحيح الجامع للألباني)
नबी  सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमायाः जो लक्ष्य तक पहुंचने के प्रति चिनतित रहता है तो वह नियुक्त समय से पहले ही निकल जाता है और जो नियुक्त समय से पहले ही निकल जाता है तो वह अपने लक्ष्य को पा लेता है। सुनो अल्लाह की वस्तु बहुत बहूमुल्य है, सुनो अल्लाह का वस्तु बहुत बहूमुल्य है और अल्लाह का बहुत बहूमुल्य वस्तु जन्नत है। (सुनन तिर्मिज़ीः अल-जामिअ, अल्लामा अल्बानी)
तो जो लोग इस बहूमुल्य वस्तु को पाने के इच्छुक होते हैं। वह बहुत ज़्यादा कोशिश और प्रयास करते हैं। इसे प्राप्त करने के लिए बहुत ज़्यादा बलिदान देते हैं। अल्लाह की बहुत ज़्यादा इबादत करते हैं, अल्लाह को खुश करने की कोशिश में लगे रहते हैं। क्योंकि जन्नत इतनी ज़्यादा बहुमूल्य है कि कोई उस की सुन्दरता, उस में पाई जाने वाली चीज़ो के स्वाद का अनुमान नहीं लगा सकता। जैसा कि रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) से हदीस कुद्सी आईं है।
وعن أبي هريرة رضي الله عنه قال قال رسول الله صلى الله عليه وسلم: قال الله تبارك وتعالى : أعددت لعبادي الصالحين : ما لا عين رأت ، ولا أذن سمعت ، ولا خطر على قلب بشر . قال أبو هريرة : اقرؤوا إن شئتم : { فلا تعلم نفس ما أخفي لهم من قرة أعين} (صحيح البخاري- رقم الحديث: 4779 )
अबू हुरैरा (रज़ियल्लाह अन्हु)  से वर्णन है कि रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फरमाया कि अल्लाह अतआला ने फरमायाः मैं ने अपने नेक बन्दों के लिए वह चीज़ तैयार कर रखी है जिसे किसी आंख ने देखा नहीं, किसी कान ने सुना नहीं, और किसी मानव के हृदय पर उसका विचार भी नहीं आ सकता।" अबू हुरैरा (रज़ियल्लाह अन्हु) कहते हैं यदि चाहो तो अल्लाह का यह कथन पढ़ लो, ″ फिर कोई प्राणी नहीं जानता आँखों की जो ठंडक उसके लिए छिपा रखी गई है उसके कर्मों के बदले जो वे दुनिया में करते रहेंगे "  ( सूरः सज्दाः 17 )   (सही बुखारीः हदीस क्रमामकः 4779)
अल्लाह ताआला ने स्वर्ग की सुन्दरता , उस में पाई जाने वेली सुख-शान्ति और उस में पाई जाने वाली अति स्वदिस्ट वस्तुओं के कारण उसे बहुत से नामों से याद किया है। जैसे , सलामती का घर, हमैशा रहने वाला ठेकाना, नेमतों से पुर्ण जन्नत, अमनो सुकून का स्थान, सच्चा बैठक, न खत्म होने वाला घर आदि  (अभी जारी है)

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