मंगलवार, 22 जून 2010

न्याय का मज़ाक




जीवन एक बहुमुल्य और सब से प्रिय वस्तु है जिसे आज सब से अमूल्य तथा बेकार समझ लिया गया है। दुसरों की जीवन से खेलवाड़ तो सामान्य बात है शर्त है कि धनदौलत और राजनेतिक शक्ति प्राप्त हो, या मंत्रियों का साया उपलब्ध हो, सब से खेदजनक बात यह है कि हमारे देश की सब से अधिक शक्तिशाली संगठन न्यायलय और सी बी आई भी अपने कामों में बहुत प्रभावित होती है। स्वार्थी और लोभी लोग हर जगह मौजूद हैं जो सफैद को काला और काला को सफैद कर देते हैं और पीड़ितों के दुख दर्द, कष्ठ तथा परेशानियों का कोई एहसास नही करते। हमारे महान देश भारत के स्वतंत्रता प्राप्त होने के बाद से लेकर आज तक कड़ोरों न्याय का गला घोंट दिया गया है। जिस के कारण अपराध प्रत्येक दिन बढ़ता जा रहा है और लोगों के जीवन का मूल कुछ भी नहीं, सब से बड़ा रूपय्या है। आज से लग भग 26 वर्ष पहले, दिसंबर 1984 में भोपाल में हुई विश्व की बदतरीन औद्योगिक त्रासदी में 20,000 लोग मारे गये थे और 5,60,000 लोग प्रभावित हुए और उन में से 37,000 लोग स्थायी रूप से विकलांग हो गए थे। परन्तु 26 वर्ष की लंबी अवधि के बाद जब न्याय आया तो प्रत्येक न्याय प्रेमियों का हृदय रोने लगा और पीड़ितों को कितना दुख हुआ होगा, कल्पना से बाहर,
क्या लाखों लोगों की जीवन से खेलवाड़ करने वालों की सजा दो साल की जेल ? और जेल जाने से पहले जमानत ? क्या यह न्याय के साथ मजाक नही ?
शक्ति के दुर्उपयोग के कारण अपराध बढ रहा है और जनता की जीवन में शांती स्माप्त और भय एवं डर ने जगह बना लिया है।
अभी केंद्रीय मंत्रियों के समूह ने भोपाल गैस त्रासदी में मारे गए लोगों के परिजनों तथा विकलांग हुए लोगों के लिए मुआवजे की रकम को बढ़ाते हुए मंत्रियों के समूह ने कुछ दिनों पहले 1,500 करोड़ रुपये के पैकेज पर अंतिम फैसला किया है। केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम की अध्यक्षता वाले मंत्रियों के समूह ने पीड़ितों को राहत तथा उनके पुनर्वास सहित विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श किया था। कहा जाता है कि इस समूह ने करीब 26 वर्ष पहले हुई विश्व की बदतरीन औद्योगिक त्रासदी में मारे गये लोगों के परिजन के लिए 10 लाख रुपये के मुआवजे का भुगतान करने की सिफारिश की है। त्रासदी के दौरान मिथाइल आईसोसाइनेट गैस के रिसाव के कारण स्थायी रूप से विकलांग हुए या फिर गंभीर रूप से बीमार पड़े लोगों को पांच लाख, जबकि आशिक रूप से विकलांग हुए लोगों को तीन लाख रुपये का मुआवजा मिलने की संभावना है।
यदि यह मुआवजा की रकम मृतक परिजनों तथा विकलांग और पीड़ितों के लिए पास हो जाता है तो प्रश्न यह है कि क्या मुआवजा की यह रकम उन्हें सही तरीके मिल जाएगी ? उत्तर आप देंगे।

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