बुधवार, 30 जनवरी 2013

किन व्यक्तियों को जन्नत प्राप्त होगा ?



 किन व्यक्तियों को जन्नत प्राप्त होगा ?
जिन व्यक्तियों ने इबादत की सम्पूर्ण क़िस्में केवल एक अल्लाह के लिए विशेष किया था और अल्लाह के साथ किसी को थोड़ा भी भागिदार तथा साझिदार न बनाया होगा।
प्रत्येक प्रकार के भलाइ और नेक कार्यों में पेश पेश रहा हो, बुराइयों और पापों से अपने दामन को सुरक्षित रखता हो, अल्लाह और उसके रसूल की आज्ञापलण करता हो और अल्लाह और उसके रसूल की अवज्ञाकारी से दूर रहता हो, इन के साथ साथ और बहुत से कर्म हैं जो जन्नत में प्रवेश होने का कारण बनते हैं। जैसाकि रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) से हदीस प्रमाणित है,
عن أبي هريرة (رضي الله عنه) سئل رسول الله (صلى الله عليه وسلم) عن أكثر ما يدخل الناس الجنة ؟  فقال: تقوى الله وحسن الخلق ، وسئل عن أكثر ما يدخل الناس النار، قال: الفم والفرج (سنن الترمذي:400)
अबू हुरैरा (रज़ियल्लाहु अन्हु) से वर्णन है कि रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्ल्म) से प्रश्न किया गयाः " किस कर्म के कारण ज़्यादा तर लोग जन्नत में दाखिल होंगे? तो रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्ल्म) ने उत्तर दियाः अल्लाह का भय (पर्हेज़गारी) और अच्छे आचरण, इसी प्रकार प्रश्न किया गया कि जहन्नम में लोग ज़्यादा किस कारण प्रवेश होंगे तो आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्ल्म)  ने उत्तर दिया " मुंख और गुप्तांग "   (सुनन तिर्मिज़ीः 400)
इसी प्रकार सच्चे हृदय से कलमा शहादत की गवाही देना (कलमा शहादत के अर्थ और मतलब को समझते हुए) और फिर कलमा शहादत के अर्थ के अनुसार जीवन बताने वाला  भी जन्नत में दाखिल होगा,
من مات وهو يشهد أن لا إله إلا الله وأن محمدا رسول الله صادقا من قلبه دخل الجنة  (+%D9%85%D9%88%D9%82%D8%B9+%D8%A7%D9%84%D8%AF%D8%B1%D8%B1+%D8%A7%D9%84%D8%B3%D9%86%D9%8A%D8%A9+-+%D8%A7%D9%84%D9%85%D9%88%D8%B3%D9%88%D8%B9%D8%A9+%D8%A7%D9%84%D8%AD%D8%AF%D9%8A%D8%AB%D9%8A%D8%A9+-+%D9%85%D9%86+%D8%AD%D8%AF%D9%8A%D8%AB+%D9%85%D8%B9%D8%A7%D8%B0+%D8%A8%D9%86+%D8%AC%D8%A8%D9%84+السلسلة الصحيحة- للشيخ العلامة :5/348)
जैसा कि मुआज़ बिन जबल से वर्णन है कि रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्ल्म) ने फरमायाः " जिस ने " ला इलाहा इल्लल्लाह " की गवाही सच्चे हृदय से दिया और फिर उस की इसी स्थिति में दिहांत हो गया तो वह बेशक जन्नत में दाखिल होगा।" (सिल्सिला सहीहाः अश्शैख़- अल्बानीः 348/5)
 وعن معاذ بن جبل (رضي الله عنه ) قال قال رسول الله صلى الله عليه وسلم " من كان آخر كلامه لا إله إلا الله ، دخل الجنة     ):صحيح الجامع- رقم الحديث :6479)

इसी प्रकार जिस व्यक्ति के मुख से अन्तिम शब्द " ला इलाहा इल्लल्लाह " निकलेगा तो अल्लाह उसे जन्नत में दाखिल करेगा जैसा कि रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्ल्म) ने फरमायाः " जिस के देहांत के समय मुख से अन्तिम शब्द " ला इलाहा इल्लल्लाह " निकला , वह जन्नत में दाखिल होगा। " (सहीउल जामिअः 6479)
अपने धन-दौलत और इज़्ज़त  की रक्षा में कत्ल किया गया व्यक्ति जन्नत में दाखिल होगा। जो लोग अनाथ बच्चों की पालन पोशक की जिम्मेदारी अदा करते हैं, ऐसे व्यक्ति जन्नत में प्रवेश करेंगे।
फजर और अस्र की नमाज़ की पाबन्दी करने वाले व्यक्ति जन्नत में प्रवेश होंगे, प्रत्येक नमाज़ के बाद आयतल्कुर्सी पढ़ने वाले व्यक्ति जन्नत में प्रवेश होंगे, बहुत ज़्यादा नफली रोज़े रखने वाले व्यक्ति जन्नत में प्रवेश होंगे,
अच्छी बात चीत और सुन्दर ढ़ंग से मिलने जुलने वाले, मिस्कीनों को खाना खिलाने वाले व्यक्ति जन्नत में प्रवेश होंगे, जीभ और गुप्तांग की सुरक्षा करने वालों को जन्नत में प्रवेश होने की शुभ खबर रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्ल्म) ने दिया है।
जो व्यक्ति सूरः इख्लास से मुहब्बत करेगा और उस के अनुसार अमल करेगा, वह जन्नत में दाखिल होगा।
धार्मिक ज्ञान प्राप्त करने वाले और फिर ज्ञान के अनुसार अमल करने वालों के लिए जन्नत में दाखिल होने का रास्ता सरल हो जाता है।
इसी प्रकार शर्मु हया और लज्जा भी ऐसा गुन है जो जन्नत का रास्ता सहज करता है। अल्लाह की अवैध कर्दा चीज़ों से दूर रहना और उचित और जाइज़ वस्तुओं का प्रयोग जन्नत में दाखिल होने का कारण बनता है। जिसने बारह वर्ष तक मस्जिद में आज़ान दिया, उसके लिए जन्नत वाजिब (अनिवार्य) हो जाता है।
ऐसी महिला जो पाँच समय की नमाज़ पढ़ती है, रमज़ान महीने के रोज़े रखती है, अपने इज़्ज़त आब्रू की सुरक्षा करती है। अल्लाह की आज्ञा कारी में अपने पति और श्ररीमान की बात मानती है तो जन्नत के जिस द्वार से चाहे जन्नत में दाखिल होगी,
हज मब्रूर, अल्लाह के भय से एकान्त में आँखों से आंसू निकलना, अल्लाह की प्रसन्नता के कारण एक दुसरे मुसलमानों की ज़ियारत करना भी जन्नत में प्रवेश होने के कारण है।
प्रत्येक वुज़ू के बाद नफली नमाज़ पढ़ने पर हमेशगी करना भी जन्नत में दाखिल होने का सबब बनता है।
ला हौव्ला व ला क़ुव्वता इल्ला बिल्ला का बार बार पढ़ना भी जन्नत के ख़ज़ाने में से एक ख़ज़ाना है।
परेशानियों और संकटों पर सब्र करना भी जन्नत में दाखिल होने का कारण बनता है। बड़े गुनाहों (महा पापों) से बचना और अनिवार्य नमाज़ की पाबन्दी और शिर्क से दूर रहना भी जन्नत में दाखिल होने का कारण बनता है। बेटियों की अच्छे ढ़ंग से पालन पोशक करने वाले के लिए जन्नत का रास्ता आसान हो जाता है।
माता-पिता की खूब सेवा जन्नत में दाखिल होने का कारण बनता है। कम आयु बच्चों के देहांत पर सब्र करना भी जन्नत में प्रवेश होने का कारण बनता है। बहुत ज़्यादा तौबा और इस्तग़्फार करना भी जन्नत में प्रवेश होने का कारण बनता है।
अल्लाह से बार बार जन्नत की दुआ करना भी जन्नत में दाखिल होने का कारण बनता है। इसे के अलावा भी बहुत से कार्य है जो हदीसों से प्रमाणित है कि उस पर पाबन्दी से अमल करना भी जन्नत में दाखिल होने का कारण बनता है।
अल्लाह हमें और आप को जन्नत में अपने कृपा और रहमत से दाखिल करे और जहन्नम से सुरक्षित रखें, आमीन या रब्बल आलमीन।

बुधवार, 16 जनवरी 2013

जन्नत में सब से स्वादिष्ट वस्तु




जन्नत में सब से प्रियतम , महान नेमत और स्वादिष्ट वस्तु जो जन्नतवासियों को मिलेगी, वह अल्लाह तआला का दर्शन होगा। जैसाकि हदीस में सुहैब (रज़ियल्लाहु अन्हु) से वर्णन है कि रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्ल्म) ने फरमायाः "
" إذا دخل أهلُ الجنةِ الجنةَ ، وأهلُ النارِ النارَ ، نادى منادٍ : يا أهلَ الجنةِ إنَّ لكم عندَ اللهِ موعدًا يُريدُ أنْ يُنْجِزُكُموه ، فيقولونَ : وما هو ؟ ألمْ يُثَقِّلِ اللهُ موازينَنا ، ويُبَيِّضْ وجوهَنا ، ويُدخلْنا الجنةَ ، ويُنجِّنا من النارِ ؟ فيُكشفُ الحجابُ ، فينظرونَ إليه فواللهِ ما أعطاهم اللهُ شيئًا أحبَّ إليهم من النظرِ إليه ولا أقرَّ لأعينِهم" (صحيح الجامع: للشيخ الألباني: 521)
“ जब जन्नत वासी जन्नत में प्रवेश हो जाएंगे, और जहन्नम वासी जहन्नम में दाखिल हो जाएंगे तो एक पुकारने वाला कहेगा, ऐ जन्नत वासी, बेशक तुम्हारे लिए अल्लाह के पास एक  वादा है जिसे अल्लाह तआला पूरा करना चाहता है, वह लोग कहेंगे, वह क्या है ? क्या अल्लाह ने हमारे तराज़ू को वज़्नी न कर दिया, क्या उसने हमारे चेहरे प्रकाशित नहीं कर दिये, क्या उसने हमें जन्नत में प्रवेश नहीं कर दिया और जहन्नम से मुक्ति नहीं दिया ? तो पर्दा हटाया जाएगा, चूनांचे जन्नत वासी अपने रब की ओर देखेंगे तो अल्लाह की क़सम! अल्लाह ने उन को अपने दर्शन से अधिक प्रियतम और उन की आंखों को प्रसन्न करने वाली वस्तु से उत्तम चीज़ नहीं दिया होगा।”  (सही अल-जामिअः शैख अल्बानीः 521)
इसी प्रकार अल्लाह ने मुमिनों को अपने दर्शन के प्रति क़ुरआन करीम में सूचना दी है। जैसा कि अल्लाह का फरमान है।
وُجُوهٌ يَوْمَئِذٍ نَاضِرَةٌ - إِلَىٰ رَبِّهَا نَاظِرَةٌ - (سورة القيامة- 23)
कित्ने ही चहरे उस दिन तरो ताज़ा और प्रफुल्लित होंगे - अपने रब की ओर देख रहे होंगे। (सूरः अल-क़ियामाः 23)

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