ईसा (यीशु या जीसस) अलैहिस्सलाम ( उन पर अल्लाह की शान्ती हो) को अल्लाह ने कुरआन मजीद में जो स्थान दिया है जो आदर – सम्मान दिया है बिल्कुल वह इसके अधिकार तथा ह़क़्दार हैं और इस बात की पुष्ठी बाइबल भी करता है परन्तु सेक्ड़ों बाइबल का वजूद बाइबल के असुरक्षित होने पर प्रमाणित करता है। लोगों ने अपने स्वाद के लिए पवित्र बाइबल में विभिन्न कालों में परिवर्तन करते रहे। जिस के कारण बाइबल की संख्याँ बढ़ती गई।
आज आप के सामने पवित्र कुरआन के अनुसार ईसा (यीशु ) अलैहिस्सलाम की विशेष्ताओं पर विचार करेंगे।
(1) ईसा (यीशु या जीसस) अलैहिस्सलाम ( उन पर अल्लाह की शान्ती हो) को अल्लाह ने बिना बाप के पैदा किया। अल्लाह का कथन है।
“ और जब फरिश्तों ने कहा ऐ मरयम , अल्लाह तुझे अपने एक आदेश की खुशखबरी देता है, उसका नाम मसीह ईसा बिन मरयम होगा, दुनिया और आखिरत में प्रतिष्ठित होगा, अल्लाह के निकटवर्ती बन्दों में गिना जाएगा, लोगों से पालन में (पैदाईश के बाद ही) भी बात करेगा और बड़ी उम्र को पहुंच कर भी और वह एक नेक व्यक्ति होगा। यह सुनकर मरयम बोली, पालनहार, मुझे बच्चा केसे होगा ? मुझे किसी मर्द ने हाथ तक नही लगाया। उत्तर मिला, ऐसा ही होगा, अल्लाह जो चाहता है पैदा करता है। वह जब किसी काम के करने का फैसला करता है तो कहता है कि, हो जा, और वह हो जाता है। ” ( सूराः आलिइमरान, आयत क्रमांकः47)
(2) आदम और ईसा (यीशु या जीसस) अलैहिमा सलाम (उन दोनों पर अल्लाह की शान्ती हो) के बीच समानता भी है और फर्क यह कि अल्लाह तआला ने आदम को मिट्टी अर्थात बिना माता-पिता के उत्पन किया और ईसा (यीशु या जीसस) को बिना पिता के उत्पन किया।
अल्लाह तआला का कथन है “ अल्लाह के नजदीक ईसा की मिसाल आदम जैसी है कि अल्लाह ने उसे मिट्टी से पैदा किया और आदेश दिया कि हो जा और वह हो गया ” (आले-इमरानः59)
(3) निःसंदेह ईसा (यीशु या जीसस) अलैहिस्सलाम ( उन पर अल्लाह की शान्ती हो) अल्लाह के कलमे और (रूह़) हुक्म से पैदा हुए थे। अल्लाह तआला का कथन है।
“ मरयम का बेटा मसीह ईसा इसके सिवा कुछ न था कि अल्लाह का रसूल था और एक आदेश था जो अल्लाह ने मरयम की ओर भेजा और एक आत्मा थी अल्लाह की ओर से (जिसने मरयम के गर्भ में बच्चे का रूपधारण किया) ”(सूराः अन्निसाः 171)
(4) अल्लाह तआला ने ईसा (यीशु या जीसस) अलैहि सलाम (उन पर अल्लाह की शान्ती हो) को संबोधित करते हुए अपने कृतज्ञा को याद दिलाया जो एहसान अल्लाह ने उन पर तथा उनके माता पर किया था। अल्लाह का कथन है।
“ फिर कल्पना करो उस अवसर की जब अल्लाह कहेगा कि ऐ मरयम के बेटे ईसा, याद कर मेरी उस नेमत को जो मैं ने तुझे और तेरी माँ को प्रदान की थी। मैं ने पवित्र आत्मा से तेरी सहायता की, तू पालने में भी लोगों से बातचीत करता था और बड़ी उम्र को पहुंचकर भी, मैं ने तुझको किताब और गहरी समझ और तौरात और इंजील की शिक्षा दी, तू मेरी अनुमति से मिट्टी का पुतला पंक्षी के रूप का बनाता और उस में फूंकता था और वह मेरी अनुमति से पंक्षी बन जाता था, तू पैदाइशी अंधे और कोढ़ी को मेरे अनुमति से अच्छा करता था, तू मुर्दों को मेरे अनुमति से जिन्दा करता था, फिर जब तू बनी इस्राईल के पास खुली निशानियाँ लेकर पहुँचा और जिन लोगों को सत्य से इन्कार था उन्होंने कहा कि ये निशानियाँ जादुगिरी के सिवा और कुछ नहीं है, तो मैंने ही तुझे उनसे बचाया ” (सूराः अल-माइदाः 110)
(5) जो लोग अल्लाह को छोड़कर ईसा (यीशु या जीसस) अलैहि सलाम (उन पर अल्लाह की शान्ती हो) की पूजा तथा इबादत करते हैं तो अल्लाह ईसा (यीशु या जीसस) अलैहि सलाम (उन पर अल्लाह की शान्ती हो) से प्रश्न करेंगे कि तुमने लोगों को अपनी इबादत की ओर निमन्त्रित किया तो ईसा (यीशु या जीसस) अलैहि सलाम (उन पर अल्लाह की शान्ती हो) इस का इन्कार करेंगे और लोगों को ही दोषी ठहराएंगे। अल्लाह तआला ने पवित्र कुआन में फरमाया, सारांश यह कि जब अल्लाह कहेगा कि, ऐ मरयम के बेटे ईसा, क्या तूने लोगों से कहा था कि अल्लाह के सिवा मुझे और मेरी माँ को भी ईश्वर बना लो, तो वह जवाब में कहेंगे कि, पाक है अल्लाह, मेरा यह काम न था कि वह बात कहता जिसके कहने का मुझे अधिकार न था, अगर मैं ने ऐसी बात कही होती तो आप को जरूर मालूम होता, आप जानते हैं जो कुछ मेरे दिल में है और मैं नही जानता जो कुछ आपके दिल में है, आप तो सारी छिपी हकीकतों के ज्ञाता है। ”
(6) ईसा (यीशु या जीसस) अलैहि सलाम (उन पर अल्लाह की शान्ती हो) ने लोगों को एक अल्लाह (प्रमेश्वर) की पूजा तथा इबादत की ओर निमन्त्रण किया था। पवित्र कुरआन में अल्लाह और ईसा (यीशु या जीसस) अलैहि सलाम (उन पर अल्लाह की शान्ती हो) के बीच होने वाली बात चीत को इस प्रकार बयान किया गया है।
“ मैं ने उनसे उसके सिवा कुछ नहीं कहा जिसका आपने आदेश दिया था, यह कि अल्लाह की बन्दगी करो जो मेरा रब भी है और तुम्हारा रब भी। मैं उसी समय तक उनका निगराँ था जब तक मैं उनके बीच था। जब आपने मुझे वापस बुला लिया तो आप उनपर निगराँ थे और आप तो सारी ही चीजों पर निगराँ हैं। अब अगर आप उन्हें सजा दें तो वे आपके बन्दें हैं और अगर माफ कर दें तो आप प्रभुत्वशाली और तत्त्वदर्शी हैं। ”
(सूराः अल-माइदा,119)
(7) ईसा (यीशु या जीसस) अलैहि सलाम (उन पर अल्लाह की शान्ती हो) ने अपने सन्देष्ठा होनो का एलान किया था और भविष्यवाँणी किया था के मेरे पक्षपात एक सन्देष्ठा आने वाला होगा जिस का नाम “ अहमद ” होगा। ““
और याद करो मरयम के बेटे ईसा की वह बात जो उसने कही थी कि ऐ , इसराइल के बेटों, मैं तुम्हारी ओर अल्लाह का भेजा हुआ रसूल हूँ, पुष्टि करनेवाला हूँ उस तौरात की जो मुझ से पहले आई हुई मौजूद है, और खुशखबरी देने वाला हूँ एक रसूल की जो मेरे बाद आएगा जिसका नाम अहमद होगा।” ” (सूराः अस-सफ्फ,6)
(8) जब ईसा (यीशु या जीसस) अलैहि सलाम (उन पर अल्लाह की शान्ती हो) ने अपने अनुयायियों से भय और अधर्म को महसूस किया तो ऐलान किया कि कौन धर्म के लिए मेरी सहायता करेगा ?
गोया कि ईसा (यीशु या जीसस) अलैहि सलाम (उन पर अल्लाह की शान्ती हो) भी मानव और मनुष्य थे जिन्हें सहायक की आवश्यकता थी ताकि धर्म के प्रचार के लिए उनके मददगार और सहयोगी रहे ,
“ जब ईसा ने महसूस किया कि इसराईल की संतान अधर्म और इनकार पर आमादा है तो उसने कहा , कौन अल्लाह के मार्ग में मेरा सहायक होता है ? हवारियों (साथियों) ने उत्तर दिया , हम अल्लाह के सहायक हैं , हम अल्लाह पर ईमान लाए , गवाह रहो कि हम मुस्लिम (अल्लाह के आज्ञाकारी) हैं ” (सूराः आले-इमरानः52)
(9) अल्लाह तआला ने ईसा (अलैहिस सलाम) को खबर दे दिया था कि तुम को हम अपने पास बुलाने वाले हैं और लोगों के षड़यन्त्र से सुरक्षित रखेंगे जैसा कि अल्लाह तआला का कथन है “ जब उसने कहा ऐ, ईसा अब मैं तुझे वापस ले लूंगा और तुझको अपनी ओर उठा लूंगा और जिन्हों तेरा इनकार किया है उनसे ( उनकी संगत से और उनके गंदे वातावरण में उनके साथ रहने से) तुझे पाक कर दूँगा और तेरे अनुयायियों को क़ियामत तक उन लोगों के ऊपर रखूँगा जिन्होंने तेरा इनकार किया है। ” (सूराः आले-इमरानः55)
(10) अल्लाह तआला ने यहुदीयों की आस्था का इनकार किया जो वह कहते हैं कि यीशु (जीसस) को हमने क़त्ल कर दिया और क्रिस्चन के आस्था का भी इनकार किया जो वह कहते हैं कि यीशु (जीसस) लोगों को पापों से मुक्ति देने के लिए अपने आप को बलिदान कर दिया बल्कि इन चिज़ों से ऊंचा और बेहतर आस्था पेश किया जो यीशु (जीसस) के स्थान को प्रमेश्वर के पास बड़ा करता है। अल्लाह तआला का कथन कुरआन शरीफ में है।
“ और वह खुद कहा कि हमने मसीह ईसा (यीशु या जीसस) मरयम के बेटे अल्लाह के रसूल का क़त्ल कर दिया, हालाँकि वास्तव में इन्हों ने न उसकी हत्या की, न सूली पर चढ़ाया बल्कि मामला इनके लिए संदिग्ध कर दिया गया, और जिन लोगों ने इसके विषय में मतभेद किया है वह भी वास्तव में शक में पड़े हुए हैं, उनके पास इस मामले में कोई ज्ञान नहीं हैं, केवल अटकल पर चल रहे हैं, उन्हों ने मसीह को यक़ीनन क़त्ल नहीं किया – बल्कि अल्लाह ने उसको अपनी ओर उठा लिया, अल्लाह ज़बरदस्त त़ाक़त रखने वाला और तत्त्वदर्शी है। ” (सूराः अन्निसाः157- 158)
जीवन बहुमूल्य है जिस के सही प्रयोग से ही हमें सफलता प्राप्त होगी और हम कभी भी दुसरों के लिए गढा न खोदें, संभावना है कि कहीं हम ही न उस गढे में गिर जाए।
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