इस्लाम ने महिलाओं को जो अधिकार दिया है, जो आदर–सम्मान किया है पूरी दुनिया वाले उस जैसा दे ,यह तो दूर की बात है, उस के निकट भी नहीं पहुंच सकते बल्कि अपने लोभ तथा स्वाद के कारण दिखाने के लिए कुछ शौर मचाते, सड़क जाम करते और कुछ प्रेस कान्फरेन्स करके महिलाओं के अधिकारों का रोना रोते, और एक दुसरे पर कीचर उछालते और महिला दिवस मना कर खामूश हो जाते हैं और कुच्छ खबर रिपोरटर भी कुच्छ सुनी सुनाइ बात या समाज में भैली हुई खराबी को देख कर एक लम्बा चौरा आरटिकल लिख देते हैं और इस्लाम पर आरोपों की लाइन लगा देते हैं और अपनी बेवक़ुफी को सब पर प्रकट करते हैं।
इस्लामिक धर्मग्रंथों में महिलाओं और पुरुषों के बीच कोई अन्तर नही बल्कि प्राकृतिक शारीरिक बनावट के अनुसार कुच्छ वस्तु को पुरुषों के लिए वर्जित किया गया हैं। तो कुच्छ वस्तु को महिलाओं के लिए वर्जित किया गया हैं और महिलाओं को जीवन के प्रत्येक मोड़ पर एक सुन्दर स्थान दी गई है जो उस के आदर तथा सम्मान को अधिक अच्छा करता हैं।
निः संदेह महिला का एक महान स्थान है और इस्लाम ने उसे उसके योग्य स्थान पर स्थापित किया है और जीवन के हर मोड़ पर एक सुरक्षक दिया है जो उस की देख भाल करे और महिला को सम्मान किया है और उसके कल्याण के लिए उसके पुरूष संबंधी पर जिम्मेदारी डाल दिया है जो जीवन के हर मरहले पर उसके आवश्यकता को पूरा करे।
मानव पर ईश्वर के बाद सब से अधिकतम अधिकार माता का है जिसे इस्लाम ने विभिन्न तरीके से प्रमाणित किया है और मानव जीवन में सब से महत्वपूर्ण समय को याद दिलाया है। “ और हम्ने इन्सानें को उस के माता पिता के सम्बन्ध में आज्ञा दी है कि उस की माता ने कष्टों पर कष्ट उठा कर उसे गर्भ में रखा तथा उसकी दूध छुड़ायी दो वर्षों में है । कि तुम मेरी तथा अपने माता-पिता की कृतज्ञता व्यक्त कर , मेरी ही ओर लौटकर आना है।” ( सुरः लुक्मान, 14)
और प्रिय नबी (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फरमाया जैसा कि अबू हुरैरा ( रज़ी अल्लाहु अन्हु) वर्णन करते हैं कि " एक आदमी रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के पास आया और कहाः ऐ अल्लाह के रसूल! कौन मेरे अच्छे व्यवहार तथा खूब सेवा का ह़क़दार है ? तो आप (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने उत्तर दियाः तुम्हारी माँ, उस ने कहाः फिर कौन ? आप (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने उत्तर दियाः फिर तुम्हारी माँ, उस ने कहाः फिर कौन ? आप (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने उत्तर दियाः फिर तुम्हारी माँ, उस ने कहाः फिर कौन ? आप (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने उत्तर दियाः फिर तुम्हारा बाप। " (सह़ीह़ुल बुखारीः ह़दीस संखियां- 113508)
इसी तरह इस्लाम ने स्त्री को आदर- सम्मान दिया जब वह पत्नी हो, यदि नापसन्द हो तो भी उसे अपने पास रखे अल्लाह ने उस में दुसरी बहुत सी भलाई उत्पन की है जैसा कि अल्लाह तआला का कथन है। “ उनके साथ भले ढंग से रहो, सहो अगर वे तुम्हें पसन्द न हों तो होसकता है कि एक चीज़ तुम्हें पसन्द न हो मगर अल्लाह ने उसी में बहुत कुछ भलाई रख दी हो ” ( सूरः निसा, 19)
प्रिय नबी (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने लोगो को उभारा कि वह अपने पत्नियों के साथ अच्छा व्यवहार करे, फरमाने रसूल है।
“ तुम में सब से बेहतर व्यक्ति वह है जो अपने पत्नी के साथ अच्छा व्यवहार करे और मैं अपने पत्नियों के साथ अच्छा सुलूक करता हूँ।”
और फरमाया “ दुनिया एक अच्छी चीज़ है और दुनिया की सब से अच्छी चीज़ नेक महिला है ” ( सही मुस्लिम ,हदीसः क्रमाक,1467 )
इसी तरह इस्लाम ने बेटी की हालत में स्त्री को आदर- सम्मान दिया है और उसकी पालन-पोशन और शिक्षा-दिक्षा का अच्छा व्यवस्था करने की आज्ञा दी है। प्रिय नबी (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने लेगों को बेटी की उत्तम तरबीयत पर उभारा है और फरमाया “ जिसने दो बालिकाओं की अच्छी तरह से पालन पोशन किया यहाँ तक कि वह दोनों जवान हो जोए तो मैं और वह व्यक्ति क़ियामत के दिन एक साथ होंगे ” ( सही मुस्लिम, हदीस न, 2631)
कितना ही खुश किस्मत होगा वह व्यक्ति जिसे प्रिय नबी (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) का साथ नसीब हो, और जिसे प्रिय नबी (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) का साथ नसीब होगा वह निश्चित तौर पर जन्नत में जायेगा।
और प्रिय नबी (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फरमाया “ जिस के पास बालिका हैं और उसने उन बालिकाओं का अच्छा व्यवहार तथा पालन पोशन किया तो यह बालिकायें उस के लिए जहन्नम ( नरक) से मुक्ति का कारण बनेगी ” ( सही मुस्लिम, हदीस न, 2629)
इसी तरह इस्लाम ने बहिन की हालत में स्त्री को आदर- सम्मान दिया है प्रिय रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) का कथन है। “ जिस किसी के पास तीन बेटियाँ या तीन बहिनें हों और उस ने उन के साथ अच्छा व्यवहार तथा पालन पोशन किया तो वह निश्चित तौर पर जन्नत ( सवर्ग) में प्रवेश करेगा ” ( मुस्नद अहमद, 43/3)
इसी तरह इस्लाम ने महिला को आदर- सम्मान दिया है जबकि वह विद्घवा हो , और उसकी खबर गीरी की जाए, उस के जीवन यापन के लिए आर्थिक सहायता की जाए बिना किसी संबंध के और संसारिक लोभ तथा स्वाद के बल्कि इस सहायता का बदला अल्लाह के पास प्राप्त करने का लक्ष्य हो, जैसा कि प्रिय रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) का कथन है। जिसे अबू हुरैरा (रज़ी अल्लाहु अन्हु) वर्णन करते है कि रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने कहा “ विद्धवा और फक़ीर पर रूपिया खर्च करने वाला और उन की देख भाल करने वाला अल्लाह के रास्ते में दिलों जान से लगे रहने वाले की तरह है, और (एक दुसरी रिवायत में है) हमेशा नमाज़ पढ़ने वाले और हमेशा रोज़ा रखने वाले के सवाब (पुण्य) के बराबर उसे सवाब (पुण्य) मिलेगा । " (सह़ी बुखारीः ह़दीस संख्यां- 6007)
इसी तरह इस्लाम ने महिला को आदर- सम्मान दिया है जबकि वह मौसी (माँ की बहिन) हो, जिसे बरा बिन आज़िब (रज़ी अल्लाहु अन्हु) वर्णन करते है कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने कहा “ मौसी माता के स्थान पर होती हैं । ” (सह़ी बुखारीः ह़दीस संख्यां- 4251)
यह तो कुछ उदाहरण दिया हूँ किन्तु इस्लाम ने महिला को बहुत ही ऊंचे पद पर बैठाया है जो उसके शारीरिक तथा मांसिक और प्राकृतिक बनावट के अनुकूल है
किसी धर्म ग्रन्थ का उदाहरण प्रस्तुत कर महिलाओं का महिमा मंडन करना और हकीकत में मुस्लिम महिलाओं की दुर्दशा ये दो भिन्न बातें है जो गहरे चिन्तन की अपेक्छा रखती हैं। तस्लिमा नसरीन को अपनी स्वछन्द विचारधारा रखने की वजह से दकियानूसी तथाकथित धर्म के ठेकेदारों द्वारा प्रताडित करते रहना क्या इस्लाम में महिलाओं की वास्त्विक स्थिति को उजागर करने के लिये काफ़ी नहीं है?
जवाब देंहटाएंSACH MAI ..HAQIQAT KUCHH AUR HI HAI ...JANKARI DENE KA SHUKRIYA..
जवाब देंहटाएंsahi baat hai, har dharm granth achchhi bat karte hain, lekin uska palan kitna hota hai.....
जवाब देंहटाएंकथनी और करनी में फर्क नहीं होना चाहिए - आपने लिखा भी है कि आपको सत्य पसंद है - हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंJo granthon me likha hai,waisa haqeekat me hota nahi..ye any vichardharon ke bareme bhi kahungi!
जवाब देंहटाएंमहिलाओं का सर्वाधिक दामन इस्लाम में ही किया जा रहा है
जवाब देंहटाएंइस नए चिट्ठे के साथ हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
जवाब देंहटाएंआपने सब सही लिखा है--सभी धर्मग्रन्थों में यही लिखा है। सवाल तो मनुश्य के इन बातॊं के न मानने की है जिससे वे महिलाओं पर अत्याचार करते है.आज यही सब होरहा है।
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