रविवार, 29 मई 2011

ईमान का चौथा स्तम्भः अल्लाह के भेजे हुए नबियों पर विश्वास तथा ईमान है।

अल्लाह तआला ने अपने कुछ बन्दों को सर्व मनुष्य की ओर नबी और रसूल (दुत्त) बना कर भेजा जो अल्लाह और बन्दों के बीच माध्यम का काम करते थे। अल्लाह का आज्ञा तथा सन्देश लोगों तक पहुंचाते थे। अल्लाह ने मानव के लिए जो जन्नत (स्वर्ग) बनाया है उसकी शुभ खबर देने वाला और अल्लाह की अवज्ञाकारी करने वालों के लिए जहन्नम (नरक) से डराने वाला बनाकर भेजा। अल्लाह ने अपने नबियों और रसूलों को विभिन्न चमत्कार दे कर भेजा था ताकि उन नबियों और रसूलों पर कोई आशंका न करें और झूटे लोग नबी और रसूल होने का ढ़ोंग न रच सके। वह सर्व नबी मानव थे। वह खाते-पीते थे। उन्हें सन्तान तथा माता-पिता थे। उन्हें रोग, परिशानियाँ, दुख दर्द लाहिक होता था। उन सब का देहांत हुआ। किन्तु अतिरिक्त ईसा( जीससो)के क्योंकि अल्लाह ने उन्हें अपने पास बुलाया लिया है और क़ियामत से निकट आकाश से धरती पर उतरेंगे और दज्जाल को क़त्ल करेंगे और फिर अल्लाह जब चाहे उन्हें देहांत देगा,(उन पर अल्लाह की शान्ती उतरे)। वह लोग दुसरे सर्व मनुष्य से सम्पूर्ण, सर्वेश्ष्ट और उत्तम थे। अल्लाह का खास कृपा और दया इन पर था परन्तु अल्लाह की कोई भी विशेष्ता इन में न थीं और इन सब नबियों ने केवल एक ईश्वर की पुजा , उपासना, अराधना की ओर सम्पूर्ण लोगों को निमन्त्रण किये।

नबी और रसूल के बीच अन्तर

विद्धवानों ने नबी तथा रसूल के बीच निम्नलिखित अन्तर बयान फरमाया है।
(1) रसूल को अल्लाह तआला का इन्कार करने वाले समुदाए में भेजा गया हो और नबी को अल्लाह तआला के आज्ञाकारी समुदाए में भेजा गया हो,
(2) रसूल जो एक नया धर्म लेकर आया और नबी जो अपने से पुर्वरसूल के धर्म का पर्चारक हो और उसी के अनुसार चलता हो,
(3) रसूल जिस पर अल्लाह ने पवित्र ग्रन्थ(किताब)उतारी हो और नबी जिस पर ग्रन्थ (किताब) न उतारी गई हो, बल्कि वह अपने से पुर्वरसूल के किताब के अनुसार अमल करता हो और लोगों को इसी पवित्र ग्रन्थ के अनुसार निमन्त्रण करता हो।
(4) प्रति रसूल नबी हैं परन्तु प्रति नबी रसूल नही हो सकते हैं।

नबी और रसूल जैसी अज़ीम स्थान इन्सान अपनी परयास तथा मेहनत से प्राप्त नही कर सकता और न ही अल्लाह की बहुत ज़्यादा पुजा तथा तपस्या से प्राप्त कर सकता है बल्कि अल्लाह तआला अपने बन्दों में से जिसे चाहे नबी और रसूल चुन लेता है। अल्लाह का कथन इस बात की पुष्टी करता है।

" वास्तविक्ता यह है कि अल्लाह अपने आदेश को भेजने के लिए फरिश्तों में से सन्देशवाहक चुनता है और इन्सानें में से भी, वह सुनता और देखता है।" ( सूराः अल-हजः57)

अल्लाह तआला नबियों और रसूलों की रक्षा करता है। उनको बड़े और छोटे गुनाहों तथा पापों से सुरतक्षित रखता है। जब कभी उन नबियों से छोटी भूल चुक तथा गलती हो जाती है जिसका धर्म के पहुंचाने से सम्बंध नही परन्तु अल्लाह तआला तुरंत उस छोटी भूल चुक तथा गलती पर नबियों को खबरदार कर देता है और नबी भी अपनी गलती स्वीकार कर के अल्लाह से क्षमा मांगते हैं। अल्लाह तआला भी उनकी छोटी गलती को क्षमा कर देता है और नबी और रसूल प्रत्येक प्रकार से सम्पूर्ण होते हैं। अल्लाह ने जो अमानत उनके जिम्मा दिया, उसको उन्हों ने सही तरीके से अदा किया और लोगों तक पूरा पूरा पहुंचा दिया।

अन्बिया और रसूलों के कुछ महत्वपूर्ण काम

अल्लाह ने नबियों तथा रसूलों को बहुत महत्वपूर्ण काम दिये हैं। उन में से कुछ निम्नलिखित हैं।
(1) लोगों तक अल्लाह के सन्देष को पहुंचाने का काम और लोगों को अल्लाह के सिवा की पुजा से हटा कर एक अल्लाह की उपासना की ओर निमन्त्रण करने का काम दिया जैसा कि अल्लाह तआला का कथन है। " हम्ने हर समुदाय में एक रसूल भेजा और उसके द्वूवारा सब को सुचित कर दिया कि अल्लाह ही की बन्दगी करो, और बढ़े हुए अवज्ञाकारी से बचो," ( सूराः अल-नहलः36)
(2) जो धर्म अल्लाह ने लोगों के लिए भेजा उसकी स्पष्टीकरण का काम दिया। लोगों को अल्लाह के आदेश की व्याख्या का कार्य सुपूर्द किया गया। जैसा कि अल्लाह तआला ने मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) को सम्बोधित करते हुए फरमाया। " और यह जिक्र तुम पर अवतरित किया है ताकि तुम लोगों के सामने इस सिक्षा की व्याख्या और स्पष्टीकरण करते जाओ, जो उन के लिए उतारी गयी है और ताकि लोग सोच-विचार कर सके," ( सूराः अल-नहलः44)
(3) नबियों तथा रसूलों को भेजा गया ताकि वह लोगों को बुराइ से डराए और भलाइ की ओर निमन्त्रण करे और अच्छे कार्यियों पर शुभ खबर दे, जैसा कि अल्लाह तआला का कथन है। " यह सारे रसूल शुभ खबर देने वाले और डराने वाले बनाकर भेजे गए " ( सूराः अल-निसाः165)
(4) क़ियामत के दिन नबियों तथा रसूलों, अपने अनुयायियों पर गवाह होंगे कि उन्हों ने अल्लाह का सन्देश लोगों तक सही तरिके से पहुंचा दिये जैसा कि अल्लाह तआला का कथन है।" फिर सोचों कि उस समय यह किया करेंगे जब हम हर समुदाए में से एक गवाह लाऐंगे और उन लोगों पर तुम्हें गवाह की हैसियत से खड़ा करेंगे " (सूराः अल-)

नबियों तथा रसूलों की संख्याँ

नबियों की संख्याँ एक लाख चौबिस हज़ार थीं और उन में से रसूलों की संख्याँ 315 हैं। जैसा कि अबू ज़र (रज़ी अल्लाहु अन्हु) वर्नण करते हैं कि उन्हों ने प्रश्न किया," ऐ अल्लाह से रसूल! अन्बिया की संख्या कितनी हैं? तो रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने उत्तर दिया, उनकी संख्या एक लाख चौबीस हजार हैं और उन में से तीन सौ पन्दरा रसूल हैं। ”
परन्तु कुरआन में अल्लाह तआला ने पचीस नबियों का नाम बयान किया है। किन्तु हम सर्व नबियों पर ईमान और विश्वास रखते हैं जिसे अल्लाह ने इस धर्ती पर नबी बना कर भेजा था चाहे उन के नाम तथा किस्से हमें बताया गया हो या उन के नाम तथा किस्से गुप्त रखा गया हो,

रसूलों के बीच उत्तमता

अल्लाह ने कुछ रसूलों को कुछ रसूलों पर उत्तमता दी है जैसा कि अल्लाह तआला ने स्वयं फरमा दिया है। " यह रसूलें हैं हम्ने इन्को एक दुसरे से बढ़ चढ़ कर पद प्रदान किया । उन में से कोई एसा था जिसे अल्लाह ने स्वयं बात की, किसी को उस ने दुसरी हैसियत से ऊंचा दर्जा दिया।" ( सूराः अल-बकराः253)

इन सब नबियों और रसूलों में सब से उत्तम और सर्वश्रेष्ट पुख्ते और कठोर इरादो वाले रसूल हैं और वह पांच हैं। नूह अलैहिस्सलाम, इब्राहीम अलैहिस्सलाम, मूसा अलैहिस्सलाम, ईसा अलैहिस्सलाम और मोहम्मद स0 अ0 स0 और इन सब के सर्दार मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम)हैं जैसा कि अन्तिम नबी मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फरमाया " मैं आदम के सन्तान का सर्दार हूँ और कोई फख्र की बात नही " ( )
क्योंकि यह स्थान अल्लाह ने मुझे दिया है।

नबियों तथा रसूलों पर विश्वास तथा ईमान रखने से हमें कुच्छ लाभ प्राप्त होते हैं।

(1) अल्लाह का अपने बन्दों के साथ खास कृपा और दया है कि उस ने लोगों के मार्गदर्शन और कल्यान के लिए आदर्निय नबियों तथा रसूलों को भेजा।
(2) अल्लाह के इस महत्वपूर्ण पुरस्कार पर उसका बहुत ज्यादा शुक्र अदा किया जाए
(3) अल्लाह के रसूलों का आदर-सम्मान किया जाए, उन से प्रेम किया जाए उन के लिए प्रार्थना किया जाए और उनकी परशंसा किया जाए कि उन्होंने अल्लाह के सन्देष्य को बहुत ही अच्छे ढ़ंग से लोगों तक पहुंचाया और इस रास्ते में मिल्ने वाली परिशानियों पर सब्र किया।

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