रविवार, 8 जुलाई 2012

जन्नत (स्वर्ग) क्या है ?

जन्नत (स्वर्ग) उस हसीन और अति सुन्दर, मनोरम, हृदय ग्राही, ऐश- इशरत से भरी हुई, सुख-चैन, राहत और सुकून और अम्नो शान्ति का स्थान है, जिसे अल्लाह तआला ने अपने प्रियतम दासों और वास्तविक भक्तों और आज्ञापालन करने वाले दासों , अल्लाह की उपासना करने वाले बन्दों, भलाई की ओर निमन्त्रण करने वाले और बुराई तथा अशुद्ध कार्यों से मना करने वाले, और अल्लाह के अधिकार के साथ लोगों के अधिकार को अदा करने वाले बन्दों के लिए बनाया है।
जन्नत हमैशा रहने वाला वह स्थान है जो कभी समाप्त न होगा, जिस के लिए एक मूमिन हमैशा कोशिश करता है, उसे प्राप्त करने के लिए बहुत पर्यत्न करता है, अपने मानव आवश्यक्ता को कुचल देता है, अभीलाशओं को लगाम लगा देता है, शैतान से दुश्मनी मोल लेता है, जीवन में हजारों परेशानियाँ तथा संकट झेलता है ताकि अल्लाह की बहूमुल्य जन्नत को प्राप्त कर सके, जैसा कि रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमायाः
قال النبي صلى الله عليه وسلم: " من خاف ادلج ومن ادلج بلغ المنزل. ألا إن سلعة الله الغالية , ألا إن سلعة الله الغالية , ألا إن سلعة الله الجنة-"   (سنن الترمذي – صحيح الجامع للألباني)
नबी  सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमायाः जो लक्ष्य तक पहुंचने के प्रति चिनतित रहता है तो वह नियुक्त समय से पहले ही निकल जाता है और जो नियुक्त समय से पहले ही निकल जाता है तो वह अपने लक्ष्य को पा लेता है। सुनो अल्लाह की वस्तु बहुत बहूमुल्य है, सुनो अल्लाह का वस्तु बहुत बहूमुल्य है और अल्लाह का बहुत बहूमुल्य वस्तु जन्नत है। (सुनन तिर्मिज़ीः अल-जामिअ, अल्लामा अल्बानी)
तो जो लोग इस बहूमुल्य वस्तु को पाने के इच्छुक होते हैं। वह बहुत ज़्यादा कोशिश और प्रयास करते हैं। इसे प्राप्त करने के लिए बहुत ज़्यादा बलिदान देते हैं। अल्लाह की बहुत ज़्यादा इबादत करते हैं, अल्लाह को खुश करने की कोशिश में लगे रहते हैं। क्योंकि जन्नत इतनी ज़्यादा बहुमूल्य है कि कोई उस की सुन्दरता, उस में पाई जाने वाली चीज़ो के स्वाद का अनुमान नहीं लगा सकता। जैसा कि रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) से हदीस कुद्सी आईं है।
وعن أبي هريرة رضي الله عنه قال قال رسول الله صلى الله عليه وسلم: قال الله تبارك وتعالى : أعددت لعبادي الصالحين : ما لا عين رأت ، ولا أذن سمعت ، ولا خطر على قلب بشر . قال أبو هريرة : اقرؤوا إن شئتم : { فلا تعلم نفس ما أخفي لهم من قرة أعين} (صحيح البخاري- رقم الحديث: 4779 )
अबू हुरैरा (रज़ियल्लाह अन्हु)  से वर्णन है कि रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फरमाया कि अल्लाह अतआला ने फरमायाः मैं ने अपने नेक बन्दों के लिए वह चीज़ तैयार कर रखी है जिसे किसी आंख ने देखा नहीं, किसी कान ने सुना नहीं, और किसी मानव के हृदय पर उसका विचार भी नहीं आ सकता।" अबू हुरैरा (रज़ियल्लाह अन्हु) कहते हैं यदि चाहो तो अल्लाह का यह कथन पढ़ लो, ″ फिर कोई प्राणी नहीं जानता आँखों की जो ठंडक उसके लिए छिपा रखी गई है उसके कर्मों के बदले जो वे दुनिया में करते रहेंगे "  ( सूरः सज्दाः 17 )   (सही बुखारीः हदीस क्रमामकः 4779)
अल्लाह ताआला ने स्वर्ग की सुन्दरता , उस में पाई जाने वेली सुख-शान्ति और उस में पाई जाने वाली अति स्वदिस्ट वस्तुओं के कारण उसे बहुत से नामों से याद किया है। जैसे , सलामती का घर, हमैशा रहने वाला ठेकाना, नेमतों से पुर्ण जन्नत, अमनो सुकून का स्थान, सच्चा बैठक, न खत्म होने वाला घर आदि  (अभी जारी है)

बुधवार, 16 मई 2012

अनुचित और अवैध व्यापार



व्यापार यदि इस्लामिक शिक्षा के अनुसार किया जाए तो वह उपासना और ईबादत के स्थान पर माना जाता है और मानव के पवित्र कमाई में शुमार होता है और उसके कमाई करने के लिए प्रत्येक प्रकार के प्रायास पर पुण्य मिलेता है परन्तु व्यापार में इस्लामिक आदेशों का उलंघन किया गया तो वह कमाई उस आदमी के लिए परेशानी के कारण बनेगा और मानव की उस कमाई पर बहुत ज़्यादा अल्लाह के पास प्रश्न किया जाएगा। जैसा कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमायाः

"لَا تَزُولُ قَدَمَا عَبْدٍ يَوْمَ الْقِيَامَةِ حَتَّى يُسْأَلَ عَنْ عُمُرِهِ فِيمَا أَفْنَاهُ وَعَنْ عِلْمِهِ فِيمَ فَعَلَ وَعَنْ مَالِهِ مِنْ أَيْنَ اكْتَسَبَهُ وَفِيمَ أَنْفَقَهُ وَعَنْ جِسْمِهِ فِيمَ أَبْلَاهُ "أخرجه الترمذي وقَالَ : هَذَا حَدِيثٌ حَسَنٌ صَحِيحٌ

क़ियामत के दिन किसी भी व्यक्ति के दोनो पाँव अपने स्थान से नही हरकत करेंगे यहाँ तक कि उस से उस के आयु के प्रति प्रश्न किया जाएगा कि किन चीज़ों में लगाया और उस के ज्ञान के हेतू प्रश्न किया जाऐगा कि उसने अपने ज्ञान के अनुसार अमल किया कि नहीं, और उस के धन-दौलत के बारे में प्रश्न किया जाऐगा कि उसने धन-दौलत कहाँ से कमया और कहाँ कहाँ खर्च किया और उसके शरीर के प्रति सवाल किया जाऐगा कि उसने अपने शरीर को किन चिज़ों में लगाया ?" (सुनन तिर्मिज़ीः हदीस क्रमांकः 2422)

गौया कि मानव जो कुछ भी व्यापार करता है और जिस तरीक़े से करता है, उस के प्रति उस से प्रश्न किया जाऐगा।


(1)  अल्लाह की वर्जितीय वस्तुओं का व्यापार।

अल्लाह तआला ने जिन वस्तुओं को मानव के प्रयोग के लिए अवैध किया तो उन वस्तु की खरीदारी तथा बेचने को भी वर्जित किया है। क्योंकि अल्लाह तआला ने उन वस्तुओं को ही वर्जित किया जो मानव के प्रयोग के लिए हाणि कारण हो या मानव समाज को उसका नुक्सान भुक्तान करना पड़े, जैसे कि जूवा , सट्टे बाजी, बयाज, शराब, सूव्वर, मुर्ती तथा बुलू फिल्म आदि के खरीदने और बेचने से मना किया गया है। अब्दुल्लाह बिन अब्बास से वर्णन है कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमायाः " बैशक जब अल्लाह अन्य किसी चीज़ को अवैध करता है तो उसकी कमाई को भी वर्जित कर देता है।
(दारु कुत्नी और अल्लामा अलबानी ने सही कहा है)

और जाबिर बिन अब्दुल्लाह वर्णन करते हैं कि उन्हों ने नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को मक्का के जीत (सन 8 हिज्री) के वर्ष फरमाते हुए सुना, " बैशक अल्लाह और उस के रसूल ने शराब, मुरदार, सुव्वर और मुर्तियों का खरीदना और बेचना हराम किया है, तो कहा गया कि ऐ अल्लाह के रसूल, मुरदार जानवर की चरबी के प्रति आप क्या कहते हैं ? क्यों कि उसकी चरबी से नाव और चमड़ों में प्रयोग किया जाता है और लोग उस से दिया जाला कर प्रकाश प्रप्त करते हैं। तो अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने उत्तर दिया, नहीं! वह वर्जित है। फिर रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमायाः " अल्लाह की धुत्कार हो यहूदियों पर और अल्लाह उन लोगों को नष्ठ करे, बैशक जब अल्लाह ने मृतिक जानवरों और गाए तथा बकरियों की चरबी को हराम किया तो जैसा कि अल्लाह ने खबर दिया है,

तो उन लोगों ने उसे जमाकर फिर गर्म कर के उस का तैल निकाल कर उसे बेचा और उस बेची हूई कीमत को खाया " (सही बुखारी और सही मुस्लिम)


(2)  धौखा और भ्रष्ठाचार

इस्लामिक शिक्षा के अनुसार व्यापार में प्रत्येक प्रकार का धोखा, चीतींग और मुर्ख बनाना अनुचित है, जैसा कि अबू हुरैरा (रज़ी अल्लाहु अन्हु) से वर्णन है कि रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) गल्ले के ढ़ेर के पास से गुज़रे, तो उस में अपना हाथ दाखिल किया तो आप को भीगा हुआ लगा, आप ने कहा, ऐ अनाज वाले, यह क्या है ? तो उसने उत्तर दिया कि ऐ अल्लाह के रसूल, रात में वर्षा हुई थी, तो रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने उत्तर दिया कि " भीगे हुए अनाज को ऊपर क्यों नहीं रखा ताकि लोग देख भाल कर खरीदें, जो धोखा देगा, वह हमारे रास्ते पर नहीं है।" (सही मुस्लिम)

जिन वस्तुओं के स्वस्थ रहने की तिथि समाप्त हो गई है। उन्हें भी बिना खरीदार को बताए हुए बेचना भी अवैध होगा, इसी प्रकार वज़न और तराज़ू में गड़बड़ी भी धोगा और अवैध व्यापार में सम्मिलित होगा।


(3)  झूठा कसम

इस्लाम ने झूठा शपथ खाना भी हराम किया है और झूठी कसम खा कर व्यापार करने वाले व्यक्तियों पर अल्लाह बहुत क्रोध होता है और क़ियामत के दिन ऐसे लोगों की ओर कृपा की दृश्य से नहीं देखेगा जैसा कि नबी से अबी ज़र (रज़ी अल्लाहु अन्हु) हदीस रिवायत करते हैं कि नबी(सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमायाः " तीन व्यक्तियों से अल्लाह तआला क़ियामत के दिन बात नहीं करेगा और उन की ओर कृपा की दृश्य से नहीं देखेगा और उनको पवित्र भी नहीं करेगा और उन के लिए भीषन अज़ाब तैयार किया है तो वह कहते हैं कि रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने यह तीन बार फरमाया। अबू ज़र (रज़ी अल्लाहु अन्हु) कहा कि वह कष्ठ और बहुत हानि उठाने वालों में होगा परन्तु वह कौन लोग होंगे ऐ अल्लाह के रसूल ? तो रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने उत्तर दिया, अपने कपड़े को घमंड से लटका कर पहन ने वाले, किसी पर एहसान कर के एहसान जताने वाले और अपने सामग्री को झूठा शपथ खा कर बेचने वाले,  (सही मुस्लिम)

बल्कि सही बातों पर भी ज़्यादा कसम खाना भी अनुचित है, जैसा कि अबू क़तादा (रज़ी अल्लाहु अन्हु) से वर्णन है कि रसूल को फरमाते हुए सुना " बेचने और खरीदने में ज़्यादा कसम खाने से बचो, बैशक वह समान को समाप्त करता है और बरकत को मिटाता है " (सही मुस्लिम)

(4)  हाट में सामग्री के पहुंचने से पहले कम कीमत में सामान खरीदना अवैध है।

सामग्री के मार्केट में पहुंचने से पहले देहातियों और किसानों से सामान कम क़िमत पर खरीदने से मना किया गया है, जैसा कि अब्दुल्लाह बिन उमर (रज़ी अल्लाहु अन्हुमा) से वर्णन है कि रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने सामान को मार्केट में पहुंचने से पहले खरीदने से मना किया है।" (सही बुखारी तथा सही मुस्लिम)

क्योंकि किसान हाट के सही मूल्य से आज्ञात होते हैं तो ऐसे समय में स्वार्थी लोग किसानों को मुर्ख बना कर सस्ते कीमत में उनके व्यापारिक सामग्री खरीद लेते हैं। इसी लिए नबी ने ऐसे व्यापार करने से मना फरमाया जिसमें एक पक्ष को हानि पहुंचे और दुसरे पक्ष को ज़्यादा लाभ प्राप्त हो।


(5)  किसी व्यक्ति के कुछ खरीदते समय दुसरा व्यक्ति उसी वस्तु को खरीदने का प्रयास न करे जब कि दोनों पक्ष व्यापार करने का पूरा मन बना चुके हों।

जब कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति से कोई व्यापार करने का मन बना ले, तो फिर तीसरा आदमी वही सामग्री के खरीदने में रूची न दिखाए, क्योंकि इस से शैतान एक दुसरे के बीच दुश्मनी उत्पन्न करता है। इस्लाम ने उन सब चीज़ों से दूर रहने का आदेश दिया जो आपस में दुश्मनी, घृणा और झगड़ा लड़ाई का कारण बने, रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने इस प्रकार के व्यापार से मना फरमाया है। जैसा कि अब्दुल्लाह बिन उमर (रज़ी अल्लाहु अन्हुमा) से वर्णन है कि रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने इरशाद फरमाया, " तुम में से कोई किसी दुसरे भाई के व्यापार पर व्यापार न करे,..... " (सही बुखारी तथा सही मुस्लिम)

इसी तरह जब दो पक्ष के बीच में किसी भी वस्तु के व्यापार की बात चीत पक्की हो जाए तो दुसरा आदमी बढ़ा कर क़ीमत न लगाए जैसा कि अबू हुरैरा (रज़ी अल्लाहु अन्हु) से वर्णन है कि रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमाया " मुस्लिम अपने भाई की व्यापार पर व्यापार नहीं करता है, ......." ( सही मुस्लिम)


(6) किसी वस्तु की कीमत अधिक करने के लिए बोली न लगाई जाए।

बाज़ारो में कुछ स्वार्थी लोग अपने कुछ लोगों को रखते हैं कि जब ग्राहक आए तो यह भी भीड़ में उपस्थित रहें और बोली लगते समय यह भी ज़्यादा बोली लगाकर ग्राहक को धोखा दे और ज़्यादा से ज़्यादा मुनाफा कमाय , इस्लाम ने इन तरीको को वर्जित किया है। जैसा कि अब्दुल्लाह बिन उमर (रज़ी अल्लाहु अन्हुमा) से वर्णन है कि रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने ज़्यादा बोली लगाकर ग्राहक को धोखा देने से मना फरमाया।" (सही बुखारी तथा सही मुस्लिम)


(7) गाए, भेंस, ऊंट और बकरी आदि जानवरों के थन में दूध रोका न जाए ताकि खरिदार ज़्यादा क़ीमत दे कर खरीदे,

इस्लाम ने धोखा और भ्रष्ठाचार के प्रत्येक तरीके और रूप से मना फरमाया है चाहि वह धोखा और भ्रष्ठाचार जीवन के किसी भी स्थान और मोड़ पर हो, इसी लिए कुछ लालची लोग अपने गाए, भेंस, ऊंट और बकरी आदि को बेचते समय धन में दूध रोक देते ताकि खरीदार यह समझे कि यह पशु ज़्यादा दूध देती है ताकि खरीदार ज़्यादा क़ीमत दे कर खरीदे तो ऐसा करने से रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने मना फरमाया। जैसा कि अबू हुरैरा (रज़ी अल्लाहु अन्हु) से वर्णन है कि रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमाया " ऊंट और बकरी के दूध को बेचने के समय न रोको, जिसने इस स्थिति में खरीदा तो उसे अनुमति होगी कि चाहे तो वह इस व्यापार को जारी रखे या इस व्यापार को भंग करे, और बदले में एक साअ ( 2.500 Kilo gram) खजूर पशु के मालिक से ले ।" (सही बुखारी तथा सही मुस्लिम)


(8)  जब लोगों को किसी सामग्री की आवश्यक्ता हो तो क़ीमत चढ़ने के लिए उन वस्तुओं की जमाखोरी न की जाए।

कभी कभी बाज़ार में किसी चीज़ की कमी के कारण क़ीमत और उस चीज़ की मूल्य बढ़ जाती है, ऐसी स्थिति में उस चीज़ की जमाखोरी न की जाए जब कि लोगों को उस चीज़ की आवश्यक्ता है, विशेष रूप से खाने पीने की चीज़ें, पोशाक एवं ओषधि जैसी वस्तुओं की जमाखोरी  बिल्कुलल न की जाए, जो लोग ऐसा कार्य करेंगे, वह पापी और अप्राधि होंगे जैसा मअमर बिन अब्दुल्लाह से वर्णन है कि रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमाया है, " जमाखोरी पापी लोग करते हैं।" (सही मुस्लिम)

बुधवार, 9 मई 2012

व्यापार करने के कुछ नियम





व्यापार कहते है कि किसी वस्तु का फैर बदल या अदला बदली लाभ के साथ किया जाए।

अल्लाह तआला ने मुसलमानों को अपने जीवन की अवश्यक्ता और पत्नि तथा बच्चों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए व्यापार करने की ओर उभारा है, ना हक किसी का माल खाने को वर्जित किया है जैसा कि अल्लाह तआला का फरमान है।

" يا أيها الذين آمنوا لاتأكلوا أموالكم بينكم بالباطل إلا أن تكون تجارة عن تراض منكم ولاتقتلوا أنفسكم , إن الله كان بكم رحيما " (سورة النساء: 29)



ऐ मूमिनों, तुम एक दुसरे का धन दौलत गलत तरीके से न खाओ, मगर तुम खुशी से व्यापार करो, और आत्महत्या न करो, बैशक अल्लाह तुम पर अत्यन्त दयालु है ”

पवित्र कुरआन में अल्लाह तआला ने नमाज़ पढ़ने के बाद व्यापार के लिए अपने दुकानों, बाज़ारो, में व्यस्त होने का आदेश दिया है। जैसा कि अल्लाह का कथन है।





" फिर जब नमाज़ पूरी हो जाए तो ज़मीन में फैल जाओ और अल्लाह का फ़ज़्ल तलाश करो, और बहुत ज़्यादा याद करते रहो, शायद कि तुम्हें सफलता प्राप्त हो जाए"

व्यापार करना बहुत ही उत्तम कमाई में से है जब की व्यापार करते समय इस्लामी शिक्षा का अनुपालन किया जाए, जैसा कि अब्दुल्लाह बिन उमर (रज़ी अल्लाहु अन्हुमा) से वर्णन है कि रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) से प्रश्न किया गया कि सब से अच्छी कमाई क्या है ? तो आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमायाः आदमी अपने हाथ से कमाई करे, और प्रत्येक प्रकार का व्यापार जिस में झूट की मिलावट न हो और पाप का कार्य न हो, (सही तरगीब व तरहीब )

अल्लाह तआला ने अल्लाह के रास्ते में लड़ने वाले यौधा और व्यापार के लिए यात्रा करने वाले को बराबर के स्थान पर रखा है, अल्लाह के इस कथन पर विचार करें।

" فاقرأوا ما تيسر من القرآن , علم الله أن سيكون منكم مرضى وآخرون يضربون في الأرض يبتغون من فضل الله وآخرون يقاتلون في سبيل الله " (سورة المزمل: 20)



" अब जितना आसानी से पढ़ सको कुरआन पढ़ा करो, उसे मालूम है कि तुम में कुछ बीमार होंगे, कुछ दुसरे लोग अल्लाह के अनुग्रह (रोज़ी) की खोज में यात्रा करते हैं, और कुछ और लोग अल्लाह के मार्ग में युद्ध करते हैं, "

अल्लाह तआला ने अल्लाह के रास्ते में योधा और रोज़ी कमाने वलों की प्रशंसा बयान किया है, इसी लिए अल्लाह ने व्यापार करने वाले व्यक्तियों को कुछ नियमों का पालन करने का अपने नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को माध्यम से मुसलमानों को आज्ञा दिया हैष।

 निम्नलिखित व्यापार करने के कुछ नियम और आदाब है जिस पर अमल करने से व्यापार में अल्लाह तआला बरकत देता है।

(1)  व्यापार के लिए भी अच्छी नियत करना चाहिये,

अल्लाह तआना ने प्रत्येक कार्य पर पुण्य रखा है जबकि मानव अपने उस कार्य पर केवल अल्लाह को प्रसन्न करने की नीयत करता है, उमर बिन खत्ताब (रज़ी अल्लाहु अन्हु) से वर्णन है कि मैं ने रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को फरमाते हुए सुना, निः संदेह कर्मों संकल्प (हृदय की ईच्छा) पर आधारित है और प्रति व्यक्ति के संकल्प के आधार पर अच्छे या बुरे कर्मों का बदला मिलेगा ......... ( सही बुखारीः  )

यदि कोई मानव व्यापार करते समय यह नीयत करता है कि मैं इस व्यापार के माध्यम से अपने घरवालों की देख रेख और उन पर खर्च करूंगा और शक्ति के अनुसार गरीबों, अनाथों, और पड़ोसियों की सहायता करूंगा और उस ने अपने व्यापार से कमाये हेतु धन दौलत का सही प्रयोग किया तो अल्लाह उस के व्यापार में बरकत भी देगा और पुण्य भी प्रदान करेगा।

(2)  व्यापार करते समय उत्त्म व्यवहार से पेश आना चाहिये

लोगों के साथ नरमी और दियालुता करना चाहिये। किसी भी उपचार में सहनशीलता बर्ता जाए। सुंदर आचरण से मेल मिलाप करना चाहिये। लेन देन में लेगों कुछ छूट दी जाए।

जैसा कि जाबिर अब्दुल्लाह से वर्णन है कि रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमायाः "अल्लाह उस व्यक्ति पर दया करे जो लोगों के साथ नरमी तथा दयालुता से पेश आता है जब वह खरीदता और बेचता है, और लोगों से अपना कर्ज़ वापस माँगता है तो अच्छे तरीके माँगता है।" (सही बुखारी)

(3)  सच्चाई और अमानत दारी से व्यापार करना चाहिये।

व्यापार विश्वास पर निर्भर करता है और इसी विश्वास के कारण भोले भाले लोग धोखा खाते हैं।

इसी लिए इस्लामिक शिक्षा बहुत ज़्यदा ज़ोर देती कि व्यापा करते समय सच बोला जाए, धोखा और काला बाज़ारी दूर रहा जाए। रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमायाः " मुसलमान, सच्चा, अमानतदार, व्यापारी क़ियामत के दिन अल्लाह के रास्ते में शहीद होने वाले व्यक्तियों के साथ होंगे। " (सही सिल्सिलाः लेखकः अल्लामा अलबानी)

(4)  हाट में अल्लाह का ज़्यादा से ज़्यादा नाम लिया जाए।

बाज़ार में अधिक से अधिक अल्लाह का नाम लिया जाए। क्योंकि ज़्यादा तर हृदय बाज़ार में अल्लाह के ज़िक्र से गाफिल रहता है। इस हदीस पर विचार करें और अमल कर के बहुत ज़्यादा पुण्य प्राप्त करें। जिसे उमर बिन खत्ताब से वर्णन है कि रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमायाः " जो बाज़ार में प्रवेश होता है तो यह दुआः " ला इलाहा इल्लल्लाह वह्दहु ला शरीक लहु, लहुल्मुल्कु व लहुल्हम्दु युह्यी व युमितु व हुव हय्युन ला यमूतु, बियदेहिल्खैर व हुव अला कुल्लि शैइन क़दीर " पढ़ता है, तो अल्लाह तआला उस के लिए हज़ार हज़ार नेकी लिख देता है और उस से हज़ार हज़ार बुराइ मिटा देता है और उस के हज़ार हज़ार पद बढ़ा देता है।" (सही अत्तरगीब व त्तरहीबः अल्लामा अल्बानी)



(5)  व्यापार के माध्यम से कमाये हुए दौलत में से गरीबों और मिस्कीनों को दान किया जाए।

अल्लाह तआला व्यापार में बहुत बरकत रखा है यदि व्यापारी सच्च और अमानतदारी के साथ व्यापार करे तो उस के लिए बहुत शुभखबर है परन्तु व्यापार करते समय शैतान के बहकावे और प्राण लोभ में आकर कुछ न कुछ अशुद्ध कार्य हो जाता है, इसी कारण रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने व्यापारी व्यक्तियों को दान करने का आदेश दिया ताकि उस का प्राश्चाताप हो सके जैसा कि कैस बिन अबी गरज़ा (रज़ी अल्लाहु अन्हु) से वर्णन है कि रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) एक दिन हमारे पास तशरीफ लाए और हम लोग बाज़ार में  खरीदने और बेचने में व्यस्त थे तो आप ने फरमायाः ऐ व्यापारियों, बैशक शैतान और गुनाह व्यापार के समय उपस्थित रहते हैं, तो तुम अपने खरीदने और बैचने को सद्का के माध्यम से पवित्र करो। "    (सुनन तिर्मिज़ी अल्लामा अल्बानी ने सही कहा है)

सहाबा (रज़ी अल्लाहु अन्हुम) की जीवन हमारे लिए एक उत्तम उदाहरण है जिन्हों ने गरीबों और मिस्कीनों की सहायाता कर के दान और सद्का का बेहतरीन नमुना पेश किया है। अबू बकर और उस्मान (रज़ी अल्लाहु अन्हुमा) की  पूरी जीवन लोगों की सेवा और सहायता गुज़री।

(6)  व्यापार के लिए सुबह घर से निकलना चाहिए।

सुबह के समय व्यापारिक यात्रा के लिए घर ने निकलना बहुत ही लाभदायक होता है, अल्लाह तआला सुबह के समय नकलने वालों के तिजारत में बरकत देता है और व्यापार करने वालों के माल, धन दौलत को अधिक करता है। जैसा कि रसूल रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के साथी सखर अल-गामिदी वर्णन करते हैं कि  रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमायाः " ऐ, अल्लाह मेरे अनुयायियों के सबह के समय के कार्य में बहुतरी दे और नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) जब कोई दल शत्रूओं से युद्ध के लिए भेजते तो सुबह के समय भेजते थे, और सखर एक व्यापारिक व्यक्ति था और वह अपना व्यापारिक यात्रा सुबह के समय आरम्भ करता था, तो अल्लाह ने उसे बहुत बरकत दी और वह बहुत धन दौलत वाला हो गया।

महापाप (बड़े गुनाह) क्या हैं ?

महापाप (बड़े गुनाह) क्या हैं ? महापाप (बड़े गुनाह) क्या हैं ?   महापाप (बड़े गुनाह) प्रत्येक वह कार्य जिस का पाप बहुत ज़्य...