सोमवार, 27 जून 2011

सूर्य और चन्द्र ग्रहण




अल्लाह तआला ने ब्राह्माण्ड की सब वस्तुओं को किसी न किसी कारण और मानव के लाभ के लिए रचना किया है, इन्हीं में सूर्य और चन्द्र भी है, सूर्य और चन्द्र को भी बहुत सी कारणों के कारण उत्पन्न किया गया है, दोनो अपने अपने रास्ते पर चक्कर लगाते हैं, यह दोनों अल्लाह की महानता बयान करते और अल्लाह की पूजा करते हैं। अल्लाह के इस कथन पर ध्यान पूर्वक विचार करें, ” और सुरज, वह अपने ठिकाने की ओर चला जा रहा है, वह प्रभुत्वशाली सर्वज्ञ सत्ता का बाँधा हुआ हिसाब है, (38) और चाँद, उसके लिए हमने मंजिलें नियुक्त कर दी हैं यहां तक कि उनसे गुजरता हुआ वह फिर खजूर की सूखी शाख के सदृश रह जाता है (39) न सुरज के बस में यह है कि वह चाँद को जा पकड़े और न रात दिन से आगे बढ़ सकती है। सब एक एक कक्षा में तैर रहे हैं।(40) (सूरः या सीन)

अल्लाह तआला ने सूर्य और चंद्र का एक लाभ वर्षों की गिन्ती को बताया है ताकि दिन, तिथि और वर्षों में अन्तर किया जा सके। पवित्र कुरआन में अल्लाह ने इसे भी याद दिलाया है। ” वही है जिसने सूरज को प्रकाशमान बनाया और चाँद को घटने –बढ़ने की मंजिलें ठीक ठीक निश्चित कर दीं ताकि तुम उस से वर्षों और तारिखों के हिसाब मालूम करो, अल्लाह ने यह सब कुछ सत्यानुकूल ही पैदा किया है। वह अपनी निशानियाँ खोल खोल कर पेश कर रहा है, उन लोगों के लिए जो ज्ञानवान है। यकीनन रात और दिन के उलट- फेर में और हर उस चीज़ में जो अल्लाह ने ज़मीन और आसमानों में पैदा किया है, निशानियाँ हैं उन लोगों के लिए जो ( असत्य देखने और असत्य कार्य करने से ) बचना चाहते हैं। ” (सूरः यूनुसः 5,6)

इस के सिवा भी बहुत से लाभ हैं जिस के कारण अल्लाह ने सूर्य और चाँद की रचना की है।

विज्ञानिकों का कहना है कि जब सुरज और धरती के बीच चाँद आ जाता है तो सुरज ग्रहण लगता है और जब चाँद और धरती के बीच सुरज आ जाता है तो चाँद ग्रहण लगता है।

परन्तु इस्लामिक शिक्षा के अनुसार सूर्य और चंद्र ग्रहण पर विचार करते हैं।

सूरज और चाँद अल्लाह की दो बड़ी निशानी हैं जिस के ग्रहण के माध्यम से अल्लाह तआला लोगों को अपने पकड़ और अज़ाब से डराता है, जैसा कि रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के समय सूरज ग्रहण हुआ तो कुछ लोग कहने लगे कि सूरज ग्रहण हुआ है क्यों कि रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के बेटे इबराहीम का निधन हुआ है तो रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने स्पष्ठ कर दिया, ” निः संदेह सुरज और चाँद अल्लाह की निशानियों में दो निशानी हैं, जो किसी की मौत के कारण ग्रहण नहीं लगते, परन्तु अल्लाह तआला इस ग्रहण के माध्यम से अपने दासों को डराता है। ( फत्हुल-बारी शर्है सही बुखारी)
दुसरी हदीस में रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने इन शब्दों से फरमाया। ” ऐ लोगों, बैशक सूर्य और चंद्र अल्लाह की निशानियों में दो निशानी हैं, जो किसी की मौत और जन्म के कारण ग्रहण नहीं लगते, और जब तुम सुरज और चाँद को ग्रहण लगते देखो तो नमाज़ पढ़ो, अल्लाह के लिए दान करो और अल्लाह की बड़ाई बयान करो, (सही इब्नि हिब्बान)
रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के समय में कई बार सुरज ग्रहण लगा था और रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने बहुत ही लम्बी लम्बी नमाज़ें पढ़ा था।

रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के हदीसों से सूर्य और चंद्र ग्रहण के समय निम्न शिक्षा मिलता है।

1- जब सूर्य और चंद्र ग्रहण लगने लगे तो लोगों के लिए उचित है कि नमाज़ की ओर दौड़ पड़े और लम्बी लम्बी नमाज़ पढ़े।
2- सूर्य और चंद्र ग्रहण के समय ज़्यादा से ज़्यादा अल्लाह का जिक्र और नाम लिया जाए, ला ईलाह इल्लल्लाह और अल्लाहु अकबर कहा जाए और अल्लाह से ज़्यादा से ज़्यादा दुआ किया जाए।
3- सूर्य और चंद्र ग्रहण के समय गरीबों, मिस्कीनों और फकीरों की सहयता और उन्हें दान किया जाए। खास कर ज़रूरतमन्द लोगों के मदद की जाए।
4- सूर्य और चंद्र ग्रहण की नमाज़ सुन्नत नमाज़ है परन्तु कुछ विद्वानों ने वाजिब कहा है।
5- यह नमाज़ सूर्य और चंद्र ग्रहण के आरंभ समय से ले कर, ग्रहण के अंतिम समय तक पढ़ा जाएगा।
6- सूर्य और चंद्र ग्रहण की नमाज़, दो रकआत में चार रूकूअ और चार सजदा किया जाता है। नमाज़
का तरीका इस तरह है कि अल्लाहु अकबर कह कर हाथ बांधने के बाद सूरः फातिहा पढ़ने के बाद कोई बड़ी सूरः लम्बी क़िरात के साथ पढ़ा जाए, फिर देर तक रूकूअ किया जाए, फिर रूकूअ से उठ कर सूरः फातिहा पढ़ने के बाद कोई बड़ी सूरः लम्बी क़िरात के साथ पढ़ा जाए, फिर रुकूअ किया जाए और चाहि तो फिर किरात करे, या चाहि तो सज्दा करे और दुसरी पहली रक्आत की तरह अदा किया जाऐगा।
7- लोगों के साथ अत्याचार करने से डरा जाए, पापों और गुनाहों से रूका जाए क्यों कि बहुत सारे क़ौमों और समुदाय के नाश तथा बर्बाद और आसमानी संकट में लिप्त होने का कारण यही रहा है।
8- अपने पापों और गुनाहों से अल्लाह से तौबा और क्षमा माँगा जाए, क्यों अल्लाह तआला अपराधियों पापियों और अत्याचारियों को सूर्य और चंद्र ग्रहण के माध्यम से चेतावनी देता है। अपने पापों, अपराधों और अशुद्ध कार्यों से रूक जाओं वर्ना अल्लाह की संकटें पकड़ लेगी। अल्लाह तुम्हे तुम्हारे अपराधो के कारण सर्वनाश कर देगा और उस समय कोइ तुम्हारी सहायता और मदद नहीं कर सकेगा।
9- सूर्य और चंद्र ग्रहण किसी मानव और महापुरूष के निधन या जन्म लेने के कारण नही होता है, बल्कि अल्लाह इस के माध्यम से अपने बन्दों, मनुष्य को बुराई और दुर्व्यवहार से डराता है।
10- अल्लाह तआला ने रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) को बहुत सी भविष्य की चीज़ो का ज्ञान दिया था। जैसा कि अल्लाह का नियम रहा है कि अपने खास बन्दों को भविष्य की कुछ चीज़ों का ज्ञान देता है, जैसा कि अल्लाह तआला ने पवित्र कुरआन में स्वयं फरमाया, ” वह ( अल्लाह) परोक्ष का जाननेवाला है, अपने परोक्ष को किसी पर प्रकट नहीं करता, सिवाए उस रसूल के जिसे उसने (परोक्ष का ज्ञान के लिए) पसन्द कर लिया हो, ” ( सूरः जिनः 26,27)

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