रविवार, 28 जून 2009

जीवन के लिए महत्वपूर्ण बातें

जीवन के लिए कुच्छ महत्वपूर्ण बातें
पहले जमाने में लोग शिक्षा के लिए गुरू के घर पधारते थे । एक गुरू की शिक्षा लेने के बाद दुसरे गुरू के पास जाते थे। इसी प्रकार की यह एक सही कहानी है।गुरू तथा छात्र के बीच होने वाली बात-चीत को धयान से पढ़े और अपनी जीवन में इस का लाभ उठाए।
गुरूः
तुम कितने साल से मेरे साथ रह रहे हो ?
छात्रः 33 वर्ष
शिक्षकः इस अवधि में तुमने किया ज्ञान प्राप्त किया ?
क्षात्रः 8 बातें का ज्ञान प्राप्त हुआ।
शिक्षकः बड़े खेद से कहते हैं। तुमहारे साथ मेरी आयु खतम

हो गई परन्तु तुमने आठ ही चीजें सीखा है।
क्षात्रः मान्य गुरू जी, मैं ने केवल इनही चीजों का ज्ञान प्राप्त किया है और मुझे झूट बोलना पसन्द नही है।
शिक्षकः जो सीखा है, मुझे बताओ ?


क्षात्रः पहली बात


मैं ने मानव पर चिन्ता किया तो पाया कि हर कोई अपने प्रिय से प्रेम करता है प्रन्तु जब उसकी मृत्यु हो जाती है तो उसका प्रिय उसे छोड़ जाता है। इसी लिये मैं ने पुण्य को अपना प्रिय बनाया ताकि जब मेरी मृत्यु हो तो मेरे साथ हो।


दुसरी बात


मैं ने अल्लाह के इस कथन पर चिन्ता किया"और जिसने अपने रब के सामने खड़े होने का डर रखा था और जी को बुरी इच्छाओं से रोके रखा था,जन्नत(स्वर्ग)उसका ठिकाना होगा"( सूराः79,आयतः42)
इसी कारण मैं ने अपने जी को बुरी इच्छाओं से दूर रखने में बहुत संघर्ष किया है अब मेरा हृदय अल्लाह की आज्ञा में लगा रहता है।
तीसरी बात


मैं ने मानव पर चिन्ता किया तो मैं ने पाया कि प्रति व्यक्ति अपने बहुमूल्य पदार्थ को सुरक्षित रखता है ताकि वह नष्ठ न हो, फिर मैं ने अल्लाह ताला के कथन पर गोर किया " जो कुछ तुमहारे पास है वह ख़र्च हो जाने वाला है और जो कुछ अल्लाह के पास है वह बाक़ी रहने वाला है और हम जरूर सब्र से काम लेने वालों को उनके उत्तम कर्मों के अनुसार अच्छा बदला देंगे " ( सूराः16,आयतः96)
तो जब भी मुझे कोई मुल्यवान् पदार्थ प्राप्त होता है, मैं उसे अल्लाह के लिए बलिदान कर देता ताकि वह उसे अपने पास सुरक्षित रखे।
चौथी बात


मैं ने मानव पर चिन्ता किया तो मैं ने पाया कि प्रति व्यक्ति अपने धन-दौलत,ऊंची जाती,पर घमंड-गुरूर करता है। फिर मैं ने अल्लाह ताला के कथन पर गो़र किया " ऐ लोगो, हमने तुम को एक मर्द तथा एक औरत से पैदा किया और फिर तुमहारी कौमें और बरादरियाँ बना दीं ताकि तुम एक दुसरे को पहचानो। वास्तव में अल्लाह की दृष्टि में तुम में सब से अधिक प्रतिष्ठित वह है जो तुम में सब से अधिक परहेजगार है " (सूराः49,आयतः13)
तो मैं अपने प्रति काम में अल्लाह का भय रखा ताकि अल्लाह के पास अधिक प्रतिष्ठित रहूँ।
पांचवी बात


मैं ने लोगों को देखा कि वह एक दुसरे को बुरा और धुदकारते हैं,इस की वास्तविक कारण ईर्ष्या है। फिर मैं ने अल्लाह ताला के कथन पर गो़र किया " दुनिया की ज़िन्दगी में इनके जीवन-यापन के साधन तो हमने इनके बीच बांटे हैं, "(सूराः43, आयतः32)
तो मैं ने ईर्ष्या छोड़ दिया और समझ गया कि धन-दौलत अल्लाह की ओर से है और हम अल्लाह के बंटवारे से प्रसन्न है।
छटी बात


मैं ने लोगों को देखा कि वह एक दुसरे से वैर रखता है,एक दुसरे पर अत्याचार करता है,एक दुसरे का रक्त पात करता हैं, फिर मैं ने अल्लाह ताला के कथन पर गो़र किया " शैतान तुमहारा दुश्मन है, तुम उसे दुश्मन जानो "(सूराः35,आयतः6)
तो मैं ने मानव से वैर छोड़ दिया और शैतान से दुशमनी कर ली है।
सातवी बात,
मैं ने मानव की ओर देख कर धयान दिया तो मैं ने पाया कि प्रति व्यक्ति रोजी की खोज में संलग्न है और जीविका की तलाश में खूब जतन करता है और जीविका के कारण बुरे पद पर चलने लगता है फिर मैं ने अल्लाह के कथन पर धयान दिया " और धरती पर चलते-फिरते जितने भी जानदार हैं सभी की रोजी़ अल्लाह ताला पर है "(सूराः11,अयतः6)
तो मैं समझ गया कि मैं भी अल्लाह के जानदारों में से एक जानदार हूँ, इस लिए अपने आप को उन चीज़ों में निरत रखा जो उस के पास है और बेकार चीज़ों से दूर रहा।
आठवी बात,
मैं ने मानव पर चिन्ता किया तो मैं ने पाया कि हर व्यक्ति अनेक व्यक्ति पर विश्नास करता है, उस के धन-दौलत पर निर्भर करता है,उस के सामग्रियों पर विश्वास करता है, उस के तनदुरुस्ती पर विश्वास करता है, और मैं ने अल्लाह के इस संदेह पर चिन्तापुर्वक व्याख्य किया " और जो अल्लाह पर भरोसा करेगा उस के लिए वह काफी है "(सूराः65,आयतः3)
तो मैं मानव पर भरोसा छोड़ कर केवल अल्लाह पर ही विश्वास करता हूँ।

शिक्षकः अल्लाह आप के पराक्रम में ज़ियादा करे, मैं तुम से प्रसन्न हूँ ,

जान लें,
निसःसंदेह जीविका अल्लाह के हाथ में है।
स्वस्थ तथा रोग अल्लाह की ओर से है।
कष्ट और परिक्षा अल्लाह की ओर से है।
कष्ट और परिक्षा से मुक्ति भी अल्लाह की ओर से है।
तो अपनी सर्व ज़रूरत उसी से मांगे,

जान लें,
यह संसार एक चक्री की तरह है। धनीवान को ग़रीब और ग़रीब को धनीवान बनाता है, ऊंचे पद वाले को नीचा और नीचे पद वाले को ऊंचा करता है.

याद रखें,
किसी पर अत्याचार न करें,किसी से बैर न रखे, किसी की हत्या न करें,किसी को धोखा न दें, यह दुनिया प्रलोक की खेती है जो यहाँ बोइगा उस का फल प्रलोक में काटेगा,और इश्वर के समक्ष अपने प्रति कर्मों का हिसाब देना पड़ेगा।

पर्मेश्वर से प्राथ्ना है कि हमें तथा आप को पुन्य करने की शक्ती दे,दुनिया में उत्तम जीविका , स्वस्थ शरीर , और अपने आज्ञा के अनुसार चलने की उत्साह दे।

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